Syllabus
* Safe working practices
* Scope of the COPA trade
* Safety rules and safety signs
* Types and working of fire extinguishers
परिचय (Introduction )
कंप्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (COPA) ट्रेड NCVT (National Council for Vocational Training) द्वारा संचालित की जाने वाली एकवर्षीय (दो सेमिस्टर) ट्रेड है | इसमें प्रवेश के लिए न्यूनतम शैक्षित योग्यता मेट्रिक (10th) होती हे | इस ट्रेड में बेसिक कंप्यूटर से लेकर प्रोग्रामिंग तक सभी जानकारी प्रदान की जाती हे | कंप्यूटर से सम्बंधित बेसिक जानकारियों तथा प्रोग्रामिंग को समजने के लिए सेद्धान्तिक (Theoratical) ज्ञान ही काफी नहीं है, बल्कि इन जानकारियों को कम्प्यूटर पर परफॉर्म करके ही भली-भाँति समझा जा सकता है। इसके लिए IIT संस्थानों में कम्प्यूटर लैब की होती है। जहाँ विभिन्न संख्याओं में कम्प्यूटर होते हैं। कम्प्यूटर लैब में कार्य करने के लिए कुछ सुरक्षा नियमों का पालन करना भी आवश्यक होता है। लैब में सुरक्षा नियमों का पालन करना भी आवश्यक होता है। लैब में सुरक्षा नियमों के लिए कुछ संकेत भी दिए गए होते हैं, जिन्हें देखकर कम्प्यूटर के सुरक्षा नियमों को समझा जा सकता है। कभी-कभी लैब में आग लगने की भी सम्भावना बन जाती है, इसीलिए आग से सुरक्षा हेतु प्रशिक्षार्थियों को अग्निशामक यन्त्रों का ज्ञान होना भी अत्यन्त आवश्यक है।
1.1 कोपा ट्रेड का क्षेत्र Scope of the COPA Trade
COPA कोर्स को पूरा करने के पश्चात् प्रशिक्षार्थी विभिन्न जॉब रोल (Job Role): जैसे कम्प्यूटर लैब असिस्टेन्ट, कम्प्यूटर ऑपरेटर, डेटा एण्टी ऑपरेटर, ऑफिस ऑटोमेशन, स्मार्ट एकाउण्टिंग, वेब डिजाइनर, IT ऑनलाइन सपोर्ट आदि के लिए सक्षम हो जाते हैं। COPA ट्रेड से IIT करने के पश्चात् जो प्रशिक्षार्थी जॉब नहीं करना चाहते वे अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। इसके लिए वे अपना साइबर कैफे, कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेन्टर, DTP सेन्टर आदि खोल सकते हैं।
1.2 सुरक्षा Safety
सुरक्षा शब्द का शाब्दिक अर्थ सुरक्षित रहना है। किसी भी अनवाही आकस्मिक दुर्घटना, जो किसी भी व्यक्ति या उसके आस-पास के वातावरण को प्रभावित करती है, से बचाव ही सुरक्षा कहलाती हैं। किसी भी कम्प्यूटर लैब में दुर्घटना से बचने के लिए विभिन्न सुरक्षा संकेत उपलब्ध होते हैं। इसके अतिरिक्त कम्प्यूटर लैब में कार्य करते समय कुछ विशेष सावधानियाँ अथवा नियम भी वर्णित किए गए हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होता है। ये संकेत तथा नियम ही सुरक्षा की कुंजी होते हैं।
सुरक्षा नियम Safety Rules
कम्प्यूटर सिस्टम की सुरक्षा के लिए कम्प्यूटर लैब के कुछ सुरक्षा नियम निम्न प्रकार हैं
1. सिस्टम के पास कोई खाद्य अथवा पेय पदार्थ न लेकर जाएँ।
2. सिस्टम प्रयोग करने के पश्चात् इसे बन्द या Shut down कर दें।
3. सिस्टम को वायरस से बचाने के लिए किसी भी बाहरी उपकरण को स्कैन किए बिना प्रयोग न करें।
4. सुनिश्चित करें कि कम्प्यूटर लैब का तापमान ठण्डा हो, क्योंकि एक लैब में अधिक संख्या में सिस्टम होते हैं, जो प्रचालित होने पर गर्मी उत्पन्न करते हैं।
5. किसी भी सर्किट बोर्ड और पावर सॉकेट को स्पर्श न करें।
6. सभी महत्त्वपूर्ण डेटा फाइलों की एक अतिरिक्त कॉपी बनाएँ। 7. पावर सप्लाई ऑन होने पर सिस्टम यूनिट या मॉनीटर की केसिंग को न खोलें।
8. कम्प्यूटर केसिंग में किसी भी प्रकार की धात्विक वस्तु; जैसे-क्लिप्स, पिन्स, सूई आदि को न लगाएँ, इससे आग लगने की सम्भावना रहती है।
9. कम्प्यूटर केबल या वैद्युतिक तारों को स्पर्श न करें।
10. किसी भी सॉफ्टवेयर या फाइल में बदलाव करने का प्रयत्न न करें।
सुरक्षा संकेत Safety Symbols
सुरक्षा की दृष्टि से कम्प्यूटर लैब में दीवारों पर कुछ सुरक्षा संकेत लगाए जाते हैं। कम्प्यूटर यूजर को इन सभी संकेतों का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। कम्प्यूटर लैब में उपयोग होने वाले कुछ महत्त्वपूर्ण सुरक्षा संकेत निम्नवत् हैं।
1.3 आग Fire
आग, किसी भी ज्वलनशील पदार्थ का दहन/जलना होता है। जब किसी पदार्थ का दहन होता है, तब ऊष्मा तथा विभिन्न प्रकार की अभिक्रियाओं का निर्माण होता है। किसी भी पदार्थ के दहन में निम्न तीन कारक उपयुक्त मात्रा में आवश्यक होते हैं
1. ईंधन
2. ऊष्मा
3. ऑक्सीजन
उपरोक्त कारकों में किसी भी एक कारक की कमी होने पर, आग बुझ जाती है। अत: आग को बुझाने की प्रक्रिया में उपरोक्त दिए गए किसी भी एक कारक को आग बुझाने के यन्त्रों द्वारा हटाया जाता है।
प्रयोगशालाओं में आग लगने के कारण निम्नलिखित हैं (Causes of Fire in Laboratory)
1. वैद्युतिक शॉर्ट-सर्किट अथवा अत्यधिक स्पार्किंग होना।
2. ज्वलनशील पदार्थों की उपस्थिति; जैसे - मोबिल ऑयल, मिट्टी का तेल, डीजल, पेट्रोल, LPG गैस, ऑक्सीजन गैस के सिलेण्डर आदि।
3. विस्फोटक पदार्थों की उपस्थिति होना।
4. बीड़ी-सिगरेट के अनबुझे टुकड़े लापरवाही से इधर-उधर फेंक देना।
5. ऊष्मकों में तापमान नियन्त्रण की व्यवस्था न होना।
आग के प्रकार Types of Fire
दहन होने वाले ज्वलनशील पदार्थों के आधार पर आग को विविध श्रेणियों
में विभाजित किया गया है, जो निम्नवत् हैं
1. श्रेणी 'ए' अग्नि Class 'A' Fire
इस श्रेणी के अन्तर्गत लकड़ी, कागज, कपड़ा, जूट आदि से लगने वाल अग्नि आती है। इस प्रकार की अग्नि को बुझाने के लिए शीतल जल बौछार अथवा बहु-उद्देशीय शुष्क रसायन उपयुक्त होते हैं।
2.श्रेणी 'बी' अग्नि Class 'B' Fire
इसके अन्तर्गत ज्वलनशील द्रवों एवं ठोसों; जैसे-मिट्टी का तेल, डीजल, पेट्रोल आदि से लगने वाली अग्नि आती है।
इस प्रकार की आग को बुझाने के लिए झाग वाले यन्त्र एवं कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) वाले अग्निशामक यन्त्र प्रयुक्त होते हैं, क्योंकि इस प्रकार की आग को जल की हार बुझाने में सक्षम नहीं होती है।
3. श्रेणी 'सी' अग्नि Class 'C' Fire
इसके अन्तर्गत सिलेण्डर आदि में भरी LPG गैस आदि से लगने वाली अग्नि आती है। इस अग्नि के कारण विस्फोट होने की सम्भावना भी बनी रहती है। इस प्रकार की आग बुझाने के लिए सम्भव हो, तो गैस की सप्लाई बन्द कर दें अन्यथा चेतावनी घण्टी बजा दें और अग्नि बुझाने वाले विशेषज्ञों को बुलाएँ । इसके अतिरिक्त विद्युत उपकरण को प्लग से सम्पर्कित रखने पर लगी आग भी इस श्रेणी में आती है। CO2, हैलोन आदि शुष्क रसायन इस आग को बुझाने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं।
4. श्रेणी 'डी' अग्नि Class 'D' Fire
इसके अन्तर्गत बिजली के तारों, उपकरणों एवं अन्य धात्विक पदार्थों से लगने वाली अग्नि आती है। इस प्रकार की अग्नि को बुझाने के लिए कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2), शुष्क चूर्ण एवं CTC प्रकार के अग्निशामक यन्त्र उपयुक्त होते हैं। इसके अतिरिक्त शुष्क रेत का भी प्रयोग इस उद्देश्य हेतु किया जा सकता है। झाग वाले अग्निशामक यन्त्र अथवा जल की बौछार का प्रयोग इस प्रकार की आग बुझाने के लिए करना अनुपयुक्त है।
अग्निशामक यन्त्र Fire Extinguisher
प्रत्येक प्रयोगशालाओं में अग्नि को बुझाने के यन्त्र अर्थात् अग्निशामक यन्त्र आवश्यक रूप से उपलब्ध रहने चाहिए, क्योंकि विद्युत के 'शॉर्ट सर्किट' अथवा अन्य किसी कारण से प्रयोगशाला में लगी आग की रोकथाम आवश्यक है।
अग्निशामक यन्त्र एक ऐसा उपकरण होता है, जिसके द्वारा जलती हुई वस्तुओं पर द्रव, गैस या चूर्ण का छिड़काव करके, जल रही वस्तु की ऑक्सीजन की सप्लाई रोककर आग को बुझाया अर्थात् अग्निशमन किया जा सकता है। इसके द्वारा छिड़का जाने वाला द्रव, गैस या चूर्ण स्वयं ज्वलनशील नहीं होता और न ही ज्वलन में सहायक होता है।
अग्नि बुझाने वाले यन्त्र एवं उपकरण, प्रयोगशाला में ऐसे स्थान पर स्थापित किए जाने चाहिए, जहाँ से वे तुरन्त ही प्रयोग किए जा सकें। इसके अतिरिक्त प्रयोगशाला में रेत से भरी बाल्टियों, पानी से भरी बाल्टियों आदि की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
अग्निशामक यन्त्र के प्रकार (Types of Fire Extinguisher)
अग्निशामक यन्त्र मुख्यतः निम्न प्रकार के होते हैं
1. जलयुक्त अग्निशामक यन्त्र Water-filled Fire Extinguisher
इस प्रकार के यन्त्र में वायुदाब के साथ जल भरा होता है। इसके लीवर को दबाने से जल की बौछार उत्पन्न होती है, जिसके द्वारा आग बुझाई जाती है।
लीवर को छोड़ते ही जल की बौछार रुक जाती है और इस प्रकार जल अनावश्यक रूप से व्यय नहीं हो पाता। इस यन्त्र का उपयोग श्रेणी 'ए' की आग को बुझाने के लिए किया जाता है। जलयुक्त अग्निशामक यन्त्र की दो प्रचालन विधियाँ क्रमश: गैस कारतूस तथा भण्डारित दाब हैं, जिन्हें निम्न चित्र में दर्शाया गया है
6. रेत से भरी बाल्टियाँ Sand-filled Buckets
प्रयोगशालाओं के अन्दर अग्नि बुझाने के लिए विभिन्न यन्त्र लगे होते हैं, परन्तु प्रयोगशाला के बाहर लाल रंग से पेन्ट की हुई बाल्टियों में सुखी रेत भरकर रखी जाती है। इन बाल्टियों पर संकेतात्मक तौर पर आग लिखा होता है। इनका प्रयोग विद्युत से लगी आग को बुझाने के लिए किया जाता है।
उपरोक्त सभी प्रकार के साधनों को, आग जनित दुर्घटना के समय प्रयोग करने से असम्भावित दुर्घटना से बचा जा सकता है। इसके लिये प्रशिक्षु या अन्य किसी भी व्यक्ति को अग्निशामक यन्त्रों व इनकी कार्यिकी का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है।